बजट से पहले सरकार क्रिप्टोकरेंसी को टैक्स के दायरे में लाने के लिए विशेषज्ञों की राय ले रही है। सरकार चाहती है कि यदि कोई कंपनी या फैमिली ऑफिस के पास क्रिप्टो करेंसी की होल्डिंग हो तो उस पर टैक्स लगाया जाए। अभी ज्यादातर कंपनियां क्रिप्टो होल्डिंग्स को मुख्य रूप से बिजनेस इनकम के तौर पर दर्शाती हैं। सूत्रों के मुताबिक, आगामी बजट में सरकार स्पष्ट करना चाहती है कि यदि क्रिप्टो में कोई निवेश है तो उस पर किस तरह टैक्स लगेगा। भारत में क्रिप्टोकरेंसी से जुड़ा कोई कानून नहीं होने के कारण इस बात की उलझन है कि इसे करेंसी माना जाए, एसेट माना जाए या कमोडिटी या सर्विस। सरकार यह समझने की कोशिश कर रही है कि इससे होने वाली इनकम को कैपिटल गेन के दायरे में रखा जा सकता है या नहीं। प्री-बजट रिकमंडेशन में क्रिप्टो एक्सचेंजों ने भी कहा कि सरकार को क्रिप्टो टैक्सेशन के सभी पहलुओं पर विचार करना चाहिए।

क्रिप्टो की खरीद और बिक्री पर एक्सचेंज की तरफ से चार्ज किए जाने वाली फीस पर सरकार 18% GST लगा सकती है। क्रिप्टो से निवेशकों को हुए मुनाफे पर 30% का शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स और 20% का कैपिटल गेन टैक्स लगाया जा सकता है। इंडस्ट्री बॉडी ने यह भी कहा है कि क्रिप्टो में ट्रेड और इन्वेस्टमेंट पर टैक्स कमोडिटी और सिक्योरिटी में ट्रेडिंग और इन्वेस्टमेंट पर टैक्स के समाना होना चाहिए। इंडस्ट्री ने TDS पर भी स्पष्टता मांगी है। संसद में क्रिप्टोकरेंसी से जुड़ा बिल पेश करने की तैयारी पिछले दो साल से चल रही है। सरकार 29 नवंबर से शुरू होने वाले संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान क्रिप्टोकरेंसी पर एक बिल पेश करने वाली थी, लेकिन अब बजट सत्र में इसे पेश किया जा सकता है।