जिनेवा । कोरोना की तीसरी लहर ओमिक्रोन के ढ़लान पर आने के बाद कई देशों ने सख्‍त पाबंदियां हटा दी हैं मगर खतरा अभी टला नहीं है। विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने ओमीक्रोन के सब-वेरिएंट बीए.2 को लेकर चेतावनी जारी की है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, बीए.2 'ज्‍यादा संक्रामक' है। इस सब-वेरिएंट को लेकर जापान और साउथ अफ्रीका में रिसर्च के नतीजे काफी अलग हैं। वहीं, यूके में डेल्‍टाक्रोन के केस मिले हैं। यह डेल्‍टा और ओमीक्रोन का हाईब्रिड वेरिएंट है जिसे लेकर टेंशन का माहौल है। यूके के स्‍वास्‍थ्‍य अधिकारी डेल्‍टाक्रोन संक्रमण पर नजर रखे हुए हैं।
डबल्लयूएचओ ने गुरुवार को कहा कि वायरस अब भी बदल रहा है। ग्‍लोबल हेल्‍थ एजेंसी ओमिक्रोन के कई सब-लीनिएज को ट्रेस कर रही है। बीए.1, बीए.2 और बीए.3 में से बीए.2 को डब्ल्यूएचओ में कोविड की टेक्निकल लीड मारिया वान ने ज्‍यादा संक्रामक बताया। डब्ल्यूएचओ कहा कि पिछले हफ्ते दुनियाभर में कोविड के चलते लगभग 75,000 मौतें दर्ज की गईं। मारिया ने कहा कि अब इसका सबूत नहीं है कि बीए.2, बीए.1 से ज्‍यादा घातक है मगर उन्‍होंने कहा कि 'हम नजर रखे हुए हैं।' डब्ल्यूएचओ अधिकारी ने कहा कि ओमीक्रोन माइल्‍ड नहीं है, बल्कि डेल्‍टा से कम गंभीर है।
साउथ अफ्रीका के नैशनल इंस्टिट्यूट फॉर कम्‍युनिकेबल डिजीजेज ने एक स्‍टडी की है। करीब एक लाख मामलों के एनालिसिस से पता चला कि बीए.2 अपने मूल वेरिएंट से ज्‍यादा घातक बीमारी नहीं देता। बीए.2 सबसे पहले साउथ अफ्रीका में ही पहचाना गया था और उसके बाद से दुनियाभर में फैल चुका है।ओमीक्रोन के सब-वेरिएंट बीए.2 पर जापान की तोक्‍यो यूनिवर्सिटी की एक रिसर्च भी सामने आई है। लैब के भीतर एक्‍सपेरिमेंट्स में वैज्ञानिकों ने पाया कि बीए.2 में ऐसे गुण हैं जो कोविड के पुराने वेरिएंट्स जैसे-डेल्‍टा जैसी गंभीर बीमारी दे सकते हैं। ओमिक्रोन की तरह यह भी वैक्‍सीन की इम्‍युनिटी को काफी हद तक चकमा दे सकता है। स्‍टडी में शामिल रहीं केई सातो ने कहा कि 'बीए.2 को स्‍टील्‍थ ओमिक्रोन कहते हैं क्‍योंकि यह पीसीआर टेस्‍ट्स में ओमिक्रोन की तरह एस-जीन फेल्‍योर नहीं दिखाता। लैब्‍स को एक कदम आगे जाकर इस वेरिएंट का पता लगाने के लिए सीक्‍वेंस करना पड़ता है। छींकने या खांसने से संक्रमित व्यक्तियों के मुंह से निकली अति सूक्ष्म बूंदों में कोरोना वायरस की उपस्थिति अनुमान से ज्यादा समय तक बनी रह सकती है। साथ ही ये कण हवा में ज्यादा दूरी तय कर सकते हैं। प्रयोगशाला में किए गए एक अध्ययन से यह बात सामने आई है। शोध पत्रिका ‘इंटरनेशनल कम्युनिकेशन इन हीट एंड मास ट्रांसफर’ में प्रकाशित अध्ययन में छोटी बूंदों में कोरोना वायरस की मौजूदगी के संबंध में अध्ययन किया गया। अमेरिकी ऊर्जा विभाग की पैसिफिक नॉर्थवेस्ट नेशनल लेबोरेटरी के शोधकर्ताओं ने पाया है कि म्यूकस (बलगम) के जरिए वायरस काफी आगे तक पहुंचा सकता है। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि बलगम में घिरी बूंदें 30 मिनट तक नम रह सकती हैं और लगभग 200 फीट तक की दूरी तय कर सकती हैं। भारत से पिछले 24 घंटे में कोरोना के 25,920 नए मामले सामने आए हैं। कल के मुकाबले, शुक्रवार को मामलों में 16 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार सुबह जारी आंकड़ों में कहा कि बीते 24 घंटे में कोरोना से 492 लोगों की मौतें हुई। देश में कोविड-19 से कुल मौतों का आंकड़ा बढ़कर 5,10,905 हो गया है। सक्रिय कोरोना मामले घटकर 2,92,092 हो गए हैं। देश में अब पॉजिटिविटी रेट 0.68 प्रतिशत है। बीते 24 घंटे में 66,254 लोग ठीक हुए हैं, जिससे रिकवर होने वाले लोगों की संख्या बढ़कर 4,19,77,238 हो गई है। भारत में रिकवरी रेट 98.12 प्रतिशत है।