जबलपुर: MPPSC2019 की परीक्षा में नया कानूनी पेंच फंस गया है। हाईकोर्ट जस्टिस जी एस आहलुवालिया की एकलपीठ ने माना है कि नार्मलाइजेशन लिस्ट जारी करने में एमपीपीएससी ने पूर्व में पारित एकलपीठ के आदेश का पालन नहीं किया है। एमपीपीएससी को कोई दुविधा थी तो उसे न्यायालय की शरण लेना थी। अभ्यार्थियों द्वारा न्यायालय की शरण ली जा रही है। एकलपीठ ने एमपीपीएससी द्वारा इंटरव्यू के लिए बनाई लिस्ट को निरस्त करते हुए पुन नार्मलाइजेशन लिस्ट बनाने के आदेश जारी किये हैं। एकलपीठ ने याचिकाकर्ता को अंतरित प्रदान करते हुए इंटरव्यू में शामिल करने के आदेश जारी किये हैं।

याचिकाकर्ता वैशाली वाधवानी तथा अन्य लगभग 250 अभ्यार्थियों की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि हाईकोर्ट ने अपने पूर्व के आदेश में मुख्य परीक्षा में चयनित 1918 अभ्यार्थियों तथा विशेष चयनित 2712 अभ्यार्थियों के रिजल्ट नार्मलाइजेशन कर इंटरव्यू की लिस्ट जारी करें। पीएससी ने उन अभ्यार्थियों को भी शामिल कर लिया है, जिन्होंने मुख्य परीक्षा क्लीयर नहीं की थी। मुख्य परीक्षा में सिलेक्शन होने के बावजूद भी उन्हें इंटरव्यू से वंचित कर दिया। याचिकाकर्ता की तरफ से बताया गया कि इंटरव्यू की प्रकिया जारी है। एकलपीठ ने अपने आदेश में चार बिंदुओं का निर्धाकरण करते हुए अपने आदेश में कहा है कि नियम 2015 के पूर्व का नियम पालन किया जाये। एकलपीठ के पूर्व में पारित आदेशानुसार मुख्य परीक्षा के आधार पर नयी सिलेक्शन लिस्ट बनाई जाये। एकलपीठ ने अभ्यार्थियों को अंतिम राहत प्रदान करते हुए उनका सिलेक्शन किये जाने के आदेश जारी किये हैं।

गौरतलब है कि जस्टिस नंदिता दुबे की एकलपीठ ने मुख्य परीक्षा में चयनित अभ्यार्थियों तथा विशेष अभ्यार्थियों की अलग-अलग सूची तैयार कर इंटरव्यू के लिए नार्मलाइजेशन लिस्ट जारी करने के आदेश दिये थे। मुख्य परीक्षा में चयनित नहीं होने वालों को उन्होंने इंटरव्यू में शामिल नहीं करने के आदेश जारी किये थे।