कांग्रेसी दिग्गजों कमल नाथ व दिग्विजय सिंह की जुगलबंदी
इंदौर । चुनाव के मुहाने पर प्रदेश कांग्रेस के दोनों वरिष्ठों के बीच फिलहाल जो तालमेल नजर आ रहा है, उससे कार्यकर्ताओं से लेकर दिल्ली दरबार तक को राहत होगी। आमतौर पर नेताओं में खींचतान टिकट वितरण को लेकर होती है और उसमें अभी समय है। गत दिनों इंदौर आए पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ सुबह ही विधायक संजय शुक्ला के यहां रुद्राभिषेक करके लौट रहे थे, तभी वहां दिग्विजय सिंह भी पहुंचे। दिग्गी राजा को देख नाथ ठहर गए। दोनों में तय हुआ कि यहां से आगे अन्य कार्यक्रमों में साथ चलेंगे। ऐसे में कमल नाथ ने कुछ देर दिग्गी राजा का अपनी कार में ही इंतजार किया और जब वे लौटकर आए तो दोनों एक कार में साथ गए। दोनों गुटों के चेहरे यही उम्मीद कर रहे हैं कि चुनाव तक यह जुगलबंदी यूं ही चलती रहे।
चुनावी मौसम में संघवी और शाह का गुजराती कनेक्शन
पंकज संघवी की राजनीतिक गलियारों में पहचान कांग्रेस पार्टी के कारण है, लेकिन इन दिनों केंद्रीय मंत्री अमित शाह से चर्चा के कारण सुर्खियों में हैं। संघवी ने कांग्रेस के टिकट पर इंदौर में जितने चुनाव लड़े हैं, उतने मौके शायद ही पार्टी ने किसी अन्य नेता को दिए हों। रविवार को कांग्रेस के दो पूर्व मुख्यमंत्री शहर में थे, लेकिन संघवी गुजराती समाज के कार्यक्रम का निमंत्रण अमित शाह को देने पहुंचे। अपनी पार्टी के दोनों दिग्गजों को भी ऐसा न्योता दिया या नहीं, इसकी कोई चर्चा नहीं। खैर, अमित शाह से मिलवाने में भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के संपर्क काम आए। दोनों की मित्रता पुरानी है। मगर चुनाव के मौसम में भाजपा के चुनावी चाणक्य शाह से यूं मिलने की चर्चा राजनीतिक के गलियारों में दूर तक है।
समाज के पलटे रुख ने चौंकाया भाजपा नेताओं को
इंदौर के मराठीभाषियों को भारतीय जनता पार्टी अपना वोट बैंक मानकर चलती है, लेकिन सांसद सुमित्रा महाजन के पद से हटने के बाद से समाज इधर-उधर का रुख कर रहा है। हाल ही में धनगर समाज ने बड़ी बैठक इंदौर में बुलाई, लेकिन उसमें शहर के मराठीभाषियों का प्रतिनिधित्व करने वाले भाजपा नेता नजर नहीं आए। समाज ने इस बार पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को बुलाया। उन्होंने भी समाज को एसटी का आरक्षण देने का भाषण देकर नई बहस छेड़ दी है। अब भाजपा वाले पता कर रहे हैं कि कांग्रेस चुनाव के समय कैसे समाजों में घुसपैठ कर रही है? अब तक यह समाज पूर्व सांसद महाजन की हां में हां मिलाता था। इंदौर में समाज का तगड़ा वोट बैंक होने के कारण किसी एक विधानसभा सीट से टिकट देने की मांग भी बैठक में उठाई गई है।
सख्ती देख भूल गए मंच पर चढ़ना
गृहमंत्री अमित शाह के तेवर संभागीय सम्मेलन में भी अलग ही थे। उन्होंने मंच पर बैठे नेताओं को यह कहकर आईना दिखाया कि मंच पर बैठे नेता चुनाव नहीं जिता सकते हैं। यह सुनकर मंच पर बैठे नेता बगले झांकने लगे। सम्मेलन में कई नेता ऐसे भी थे, जो आमतौर पर मंच पर पहली कतार में नजर आते हैं, लेकिन सुरक्षा एजेंसी की सख्ती देख मंच पर चढ़ना भूल गए और और आम कार्यकर्ताओं के साथ मंच के नीचे कुर्सी पर बैठे नजर आए। इनमें पूर्व विधायक सुदर्शन गुप्ता, मधु वर्मा भी शामिल थे, हालांकि बाद में उन्हें मंच पर बुलाया गया। संभाग के कुछ नेताओं पर संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा की नजर पड़़ी तो उन्होंने मंच पर बुला लिया। कई नेता आगे की कुर्सियों पर बैठने के लिए मशक्कत करते रहे, वहीं मंत्री तुलसी सिलावट बेरिकेड के पास खड़े होकर नेताओं को एंट्री कराते नजर आए।