ठेकेदारों द्वारा संविदा कर्मचारियों का शोषण

भोपाल। मध्यप्रदेश के आउट सोर्स और अस्थाई ठेका कर्मचारी 6 अगस्त को राजधानी भोपाल में लाखों की संख्या में एकत्रित हो रहे हैं। मध्य प्रदेश में लगभग 10 से 12 लाख संविदा पर आउट सोर्स कर्मचारी काम कर रहे हैं। 
आउटसोर्स कंपनियों के ठेकेदार सरकार से 12 से 15 हजार रुपये प्रति कर्मचारी वेतन ले रहे हैं। लेकिन कर्मचारियों को मात्र 8 से ₹10000 ही भुगतान किया जा रहा है। ठेकेदारों द्वारा कभी भी कर्मचारियों को निकाल दिया जाता है। ठेकेदार कंपनी द्वारा कोई भी सुविधाएं कर्मचारियों को नहीं दी जा रही हैं। जिसके विरोध में अब आउट सोर्स संविदा कर्मचारी राजधानी मैं प्रदर्शन करने के लिए एकजुट हो रहे हैं। कर्मचारी संगठन द्वारा प्रदर्शन करने की अनुमति मांगी गई है। लेकिन अभी तक पुलिस और जिला प्रशासन द्वारा इन्हें कोई अनुमति नहीं दी गई है। इसके बाद भी कर्मचारी संगठन यह कह रहे हैं, लाखों संविदा कर्मचारी 6 अगस्त को भोपाल आएंगे। संगठन द्वारा जुलाई माह से लगातार सरकार से संविदा कर्मचारियों की विभिन्न समस्याओं को लेकर ज्ञापन दिए गए हैं। अभी तक सरकार द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई है। 
वहीं मध्य प्रदेश शासन के अपर मुख्य सचिव विनोद कुमार का कहना है, आउटसोर्स कर्मचारी के लिए सरकार ने नीति बना रखी है। उन्हीं के हिसाब से उनकी सेवाएं ली जाती हैं। कर्मचारियों को निर्धारित दर पर भुगतान किया जाता है। 
इस समय मध्य प्रदेश में विद्युत मंडल की विभिन्न कंपनियों, स्वास्थ्य विभाग, 16 नगर निगम, सभी नगर पालिकाओं,एंबुलेंस,डायल 100, जननी एक्सप्रेस,कंप्यूटर ऑपरेटर, जल जीवन मिशन में इंजीनियर, कृषि उपज मंडियों, दुग्ध संघ और कोऑपरेटिव सेक्टर में बड़े पैमाने पर संविदा आउट सोर्स कर्मचारियों की नियुक्ति की गई है। जिन्हें ठेकेदारों द्वारा भुगतान किया जाता है। मध्य प्रदेश में काम करने वाले आउटसोर्स कर्मचारी में काफी गुस्सा देखने को मिल रहा है। कई साल काम करने के बाद भी कोई सुरक्षा नहीं मिल रही है। ना ही कोई सुविधाएं प्राप्त हो रही हैं। 
विधानसभा चुनाव के पहले इतनी बड़ी मात्रा में संविदा कर्मचारियों की नाराजी सरकार को भारी पड़ सकती है। जनता तक जो भी सुविधाएं पहुंच रही हैं। उसमें सभी आउट सोर्स संविदा कर्मचारियों के भरोसे चल रही हैं। संविदा कर्मचारियों की नाराजी स्थिति को बद से बदहाल बना सकती है।