व्यापार : भारत पर अमेरिका की ओर से लगाए गए 50 प्रतिशत टैरिफ का क्या असर पड़ेगा, इस पर तरह-तरह की अटकलें लग रही हैं। इस बीच, मूडीज रेटिंग्स ने बताया है कि भारत टैरिफ के कारण पैदा हुई चुनौतियों से कैसे निपट सकता है। रेटिंग एजेंसी के अनुसार, भारत की मजबूत घरेलू मांग और उसके सेवा क्षेत्र का शानदार प्रदर्शन टैरिफ के आर्थिक प्रभाव को कम करने में मदद करेगा। 

भारत की जीडीपी वृद्धि दर 03% तक पड़ सकती है धीमी

मूडीज ने अपनी रेटिंग में कहा है कि अगर भारत टैरिफ के बावजूद रूस से तेल खरीदना जारी रखता है, तो वास्तविक जीडीपी वृद्धि वित्त वर्ष 2025-26 के लिए 6.3 प्रतिशत के वर्तमान पूर्वानुमान से लगभग 0.3 प्रतिशत अंक तक नीचे जा सकती है।

मूडीज रेटिंग्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा, "हमारा अनुमान है कि वित्त वर्ष 2025-26 (मार्च 2026 को समाप्त) के लिए हमारे वर्तमान पूर्वानुमान 6.3 प्रतिशत की वृद्धि की तुलना में वास्तविक जीडीपी वृद्धि लगभग 0.3 प्रतिशत अंक धीमी हो सकती है। हालांकि, लचीली घरेलू मांग और सेवा क्षेत्र की मजबूती इस दबाव को कम करेगी।"

25% अमेरिकी टैरिफ लागू, 25% 27 अगस्त से होने हैं लागू

6 अगस्त को ट्रंप ने भारतीय वस्तुओं पर अतिरिक्त 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने वाले एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किया। यह टैरिफ पहले घोषित 25 प्रतिशत पारस्परिक टैरिफ से अलग है। अमेरिका ने इस दंडात्मक टैरिफ को 27 अगस्त 2025 से लागू करने की बात कही है। 

इलेक्ट्रॉनिक्स और कपड़ा उद्योग पर असर पड़ने की आशंका

मूडीज ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि विनिर्माण क्षेत्र, खासकर इलेक्ट्रॉनिक्स और कपड़ा जैसे उच्च-मूल्य वाले क्षेत्रों को झटका लगेगा। हालांकि मजबूत घरेलू खपत और सेवा निर्यात निकट भविष्य में कुछ हद तक नुकसान की भरपाई कर देंगे। भारत के सामने वै टैरिफ से बचने के लिए रूस से तेल आयात कम करने की चुनौतियां होंगी। भारत को पर्याप्त वैकल्पिक आपूर्ति के लिए संघर्ष करना होगा, और इससे ऊर्जा लागत बढ़ सकती है। दूसरी ओर, रियायती रूस के कच्चे तेल से दूर जाने से महंगाई और चालू खाता घाटा भी बढ़ेगा।

सस्ते रूसी तेल की आपूर्ति घटी तो बढ़ सकती है महंगाई

मूडीज के अनुसार, सस्ते रूसी तेल ने भारत की महंगाई को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह कई वर्षों के निचले स्तर पर है। मूडीज ने चेताया है कि रूस से तेल खरीदना बंद करने पर यह स्थिति बदल सकती है। एजेंसी ने कहा है कि हालांकि भारत का पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार बाहरी झटकों से सुरक्षा देता है।

रिपोर्ट में अनुमान के आधार पर कहा गया है कि टैरिफ वृद्धि का तात्कालिक प्रभाव लचीली घरेलू मांग के कारण सीमित रह सकता है। हालांकि, एजेंस ने आगाह किया है कि क्षेत्रीय प्रतिस्पर्धियों की तुलना में अधिक टैरिफ भारत के दीर्घकालिक विनिर्माण व निवेश लक्ष्यों को कमजोर कर सकती है।