जालंधर । पंजाब के जालंधर में डिपो में 500 से अधिक बसें धूल खा रही हैं, जिससे बसों की कमी के चलते यात्रियों को रोजाना परेशानियां उठानी पड़ रही है, लेकिन प्राइवेट बसों के परिचालन में कमी होने के कारण यात्रियों की परेशानियां बढ़ गई और बस में चढ़ने के लिए लोग परेशान होते रहे। इसी बीच रविवार को सरकारी पेपर, डेरे में भंडारा व अन्य एक स्थान पर धार्मिक समारोह के चलते बसों में सफर करने वालों की गिनती रूटीन के दिनों से 2-3 गुणा बढ़ गई। बसों की कमी के चलते यात्रियों को अपने गंतव्य पर जाने में काफी दिक्कतें उठानी पड़ी। दोपहर को तापमान 40 डिग्री को छू रहा है व बसों का इंतजार कर रहे यात्रियों के पसीने छूट रहे थे। 
आलम यह था कि लंबे इंतजार के बाद भी उन्हें खड़े होकर सफर करने को मजबूर होना पड़ रहा था। बसों का इंतजार कर परेशानी झेल रहे कई युवा बसों के ऊपर बैठकर सफर को निकलते देखे गए।
उल्लेखनीय है कि डिपो में खड़ी 500 से अधिक बसों को सड़कों पर उतारने के लिए ट्रांसपोर्ट विभाग द्वारा आउटसोर्स पर नए चालक दलों की भर्ती प्रक्रिया शुरू की गई थी, जो शुरुआत में ही विरोध का शिकार हो गई। कांट्रैक्ट व आउटसोर्स पर पहले से काम कर रहे 6600 कर्मचारियों की यूनियन ने दो-टूक चेतावनी देते हुए कहा कि जब तक उन्हें पक्का नहीं किया जाएगा व नए स्टाफ को काम करने नहीं देंगे। इसके चलते भर्ती प्रक्रिया ठंडे बस्ते में चली गई है जो विभाग के साथ-साथ यात्रियों के लिए भी परेशानी का सबब बन रही है।
विशेषज्ञों के मुताबिक इस परेशानी का कारण विभाग की गलत नीतियां है, जब 842 नई बसें डाली गई थी तो उस समय स्टाफ भर्ती करना चाहिए था। विधानसभा चुनावों के चलते अपनी पीठ थपथपाने के लिए चन्नी सरकार ने नई बसें तो डाल दी लेकिन भर्ती को लंबित रखा। उस समय सरकार कच्चे कर्मचारी भर्ती करती तो विरोध होना था, जिससे बचने के लिए सरकार ने मौजूदा स्टाफ से नई बसें चलावानी शुरू करवा दी। रूटों पर चल रही बसों को डिपों में खड़ा कर दिया गया। उसके बाद अब डेढ़ वर्ष का लंबा समय बीत चुका है लेकिन भर्ती नहीं हो पाई, जिसके चलते 500 से अधिक बसें खड़ी है।