भोपाल । अब आपको आर्ट और कल्चर यानी नृत्य कराने या सिखाने पर 18 प्रतिशत टैक्स देना होगा। नृत्य का बड़ा एवं सामूहिक आयोजन गरबा होता है। इसे सिखाने या आयोजन टैक्स के दायरे में आ गया है। आयोजकों ने इसका विरोध किया है। उनका कहना है धार्मिक आयोजनों पर टैक्स उचित नहीं है।
दरअसल जीएसटी काउसिंल की जून में हुई 47वीं बैठक में निर्णय लिया गया है कि नृत्य या अन्य सांस्कृतिक गतिविधियां सिखाने वाली संस्थाओं से 18 प्रतिशत की दर से जीएसटी लिया जाएगा। पहले नोटिफिकेशन 12/2017 के अनुसार इसमें छूट थीं। इंडीविजुअल व्यक्ति द्वारा नृत्य आदि सिखाए जाते हैं तो उस पर छूट जारी रहेगी। जानकारों का कहना है इस प्रावधान का सीधा असर शहर में चलने वाले गरबा जैसे बड़े आयोजनों पर होगा, जिसमें गरबा सिखाने के लिए प्रतिभागियों से फीस ली जाती है। साथ ही दर्शक जो ऐसे सामूहिक आयोजनों को देखने जाते हैं, उन पर भी जीएसटी का भार आएगा। नियमानुसार कोई व्यक्ति 500 प्रति व्यक्ति टिकट लेता है तो उस पर टैक्स की छूट रहेगी, पर 501 के टिकट पर जीएसटी लगेगी।
राजधानी में एक दर्जन से अधिक जगहों पर होता है गरबा
राजधानी भोपाल की बात करें तो नवरात्र के दौरान सैकड़ों की संख्या में गरबा महोत्सव होते हैं। लेकिन बड़े स्तर पर एक दर्जन से अधिक स्थानों पर गरबा का आयोजन होता है। टैक्स एक्सपर्ट का कहना है कि छोटे स्तर पर होने वाले आयोजन 20 लाख के टर्नओवर वाली सीमा से बाहर रहेंगे लेकिन जो बड़े आयोजन होंगे उन पर टैक्स की लायविलिटी आएगी। उन्हें विभाग में पंजीयन भी कराना होगा। गरबा जैसे बड़े आयोजन करवाने वाली संस्थाओं ने आगामी त्योहारी सीजन को देखते हुए प्रतिभागियों की एंट्री लेना शुरू कर दिया है। इसमें 18 प्रतिशत की दर से जीएसटी लेना भी शुरू कर दिया है।