श्रीयंत्र की सिद्धि गुरु शंकराचार्य ने की थी. दुनिया में सबसे ज्यादा प्रसिद्द और ताकतवर यंत्र यही है. हालांकि इसे धन का प्रतीक माना जाता है, लेकिन ये धन के अलावा शक्ति और अपूर्व सिद्धि का भी प्रतीक है.

श्रीयंत्र के प्रयोग से सम्पन्नता, समृद्धि और एकाग्रता की प्राप्ति होती है. घर में इसके सही प्रयोग से हर तरह की दरिद्रता दूर की जा सकती है.

श्रीयंत्र के प्रयोग में बरतें ये सावधानियां
श्रीयंत्र की आकृति दो प्रकार की होती है- उर्ध्वमुखी और अधोमुखी. भगवान शंकराचार्य ने उर्ध्वमुखी प्रतीक को सर्वाधिक मान्यता दी है. इस यंत्र की घर में स्थापना से पूर्व देख लें कि यह बिल्कुल ठीक बना हो अन्यथा आप मुश्किल में आ सकते हैं.

श्रीयंत्र का चित्र आप काम करने के स्थान, पढ़ाई के स्थान और पूजा पाठ के स्थान पर लगा सकते हैं. जहां भी श्रीयंत्र की स्थापना करें, वहां सात्विकता का विशेष ख्याल रखें और नियमित मंत्र जाप करें.

धन के लिए श्रीयंत्र का प्रयोग कैसे करें?
स्फटिक का पिरामिड वाला श्रीयंत्र पूजा के स्थान पर स्थापित करें. इसे गुलाबी कपड़े या छोटी सी चौकी पर स्थापित करें. नित्य प्रातः इसे जल से स्नान कराएं. पुष्प अर्पित करें. घी का दीपक जलाकर श्रीयंत्र के मंत्र का जाप करें.

एकाग्रता के लिए श्रीयंत्र का प्रयोग कैसे करें?
उर्ध्वमुखी श्रीयंत्र का चित्र अपने काम या पढ़ने की जगह पर लगाएं. चित्र रंगीन हो तो ज्यादा बेहतर होगा. इसको इस तरह लगाएं कि यह आपकी आंखों के ठीक सामने हो. जहां भी इसको स्थापित करें, वहां गंदगी न फैलाएं. मांस-मछली या मदिरा पान का सेवन बिल्कुल न करें.

श्रीयंत्र की पूजा विधि
श्रीयंत्र को पूजा घर में शुक्रवार या किसी शुभ मुहूर्त पर स्थापित करना चाहिए. पहले श्रीयंत्र को एक चौकी पर गुलाबी रंग के आसन पर रखें. विधिवत किसी धर्माचार्य से इसकी प्राण प्रतिष्ठा करें. नियमित तौर पर हर दिन श्री यंत्र को जल से स्नान कराएं. धूप, दीप, नैवेद्य चढ़ाएं. श्रीयंत्र पर मां लक्ष्मी के प्रिय लाल या गुलाबी रंग के फूल और इत्र जरूर चढ़ाएं.