जिला के निजी स्कूल संचालकों ने गुरुवार को अपने ही स्कूल में ताले लगाकर सड़क पर उतरे और राज्य शासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। प्रदेशभर के प्राइवेट स्कूल के शिक्षा के अधिकार की 250 करोड़ रुपये की राशि का भुगतान करने की मांग की गई। प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ने के पदाधिकारियों ने बताया कि शिक्षा के अधिकार कानून के तहत प्राइवेट स्कूलों में प्रवेश के लिए सीट आरक्षित है।

इन सीटों पर भर्ती होने वाले बच्चों की फीस सरकार देती है, लेकिन राज्य सरकार ने प्राइवेट स्कूलों के करोड़ों रुपये रोक रखे हैं। साल 2020-21 और 2021-22 की राशि अब तक जारी नहीं की गई है। राशि न मिलने से छोटे स्कूल संचालकों को बड़ी परेशानी हो रही है बीते 12 सालों से आरटीई की राशि में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है।

इसलिए प्राइमरी में 7000 से बढ़कर 15000, माध्यमिक के लिए 11500 से बढ़कर 18000 और हाई स्कूल एवं हाई सेकेंडरी के लिए 15000 से बढ़कर 25000 राशि करने, स्कूल बसों के परिचालन के लिए भी छत्तीसगढ़ में अवधि 12 वर्ष निर्धारित है जिसे अन्य राज्यों की तरह 15 वर्ष करने की मांग की गई। निजी स्कूलों में पढ़ने वाली बालिकाओं को भी सरस्वती साइकिल योजना के तहत साइकिल दिए जाने की भी मांग की जा रही है।

21 सितंबर को रायपुर में करेंगे बड़े आंदोलन शिक्षा के अधिकार की रोकी गई राशि के भुगतान के अलावा निजी स्कूलों की सभी खातों को पीएमएस के अंतर्गत पंजीकृत करने मांग भी की जा रही है।

निजी स्कूल के संचालकों ने गणवेश की राशि 540 रुपये से बढ़ाकर 2000 रुपये, निजी विद्यालय में अध्यनरत एससी-एसटी ओबीसी वर्ग के विद्यार्थियों को मिलने वाली प्री मैट्रिक एवं पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति की राशि में वृद्धि आत्मानंद स्कूल की तर्ज पर निजी स्कूलों के अध्यापकों को स्कूली शिक्षा में भर्ती पर बोनस अंक प्रदान करने की मांग की गई है।

स्कूल बंद कर एक दिवसीय आंदोलन के बाद जिला निजी विद्यालय संचालक संगठन ने जिला शिक्षा अधिकारी और कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा। मांग पूरी न होने पर 21 तारीख को रायपुर में बड़े आंदोलन की चेतावनी दी गई है।