मध्य प्रदेश में चुनावी परिदृश्य के अंतर्गत कांग्रेस पार्टी के हालत बेहद चिंताजनक , असमंजस और भ्रम में भरे हुए दिखाई देते हैं । कांग्रेस पार्टी की अभी तक 1 महीने देर से सही परंतु जैसे ही विधानसभा उम्मीदवारों की सभी लिस्ट सामने आई वैसे ही बगावत का ऐसा सिलसिला सामने आया है जैसा कि मध्य प्रदेश की राजनीति में संभवत कांग्रेस पार्टी के अंदर दिखाई नहीं दिया । आखरी सूची की स्थिति के रूप में भ्रम एवं असमंजस की स्थिति के बाद संशोधन और उसके बाद संशोधन कुल मिलाकर बगावत एवं बगावत के बाद फिर से बगावत । अंततः 42 सीटों पर कांग्रेस पार्टी की हालत बेहद नाजुक स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही है ।

 7 सीटों पर बदले उम्मीदवार, बगावत बदलाव , बगावत जारी .... 

7 सीटों पर पहले घोषित उम्मीदवारों के टिकट बदल दिए। जिसमें मुरैना जिले के सुमावली विधानसभा सीट पहले से घोषित कुलदीप सिकरवार का टिकट काटकर मौजूदा विधायक अजब सिंह कुशवाह को फिर से उम्मीदवार बना दिया। इसके साथ पार्टी ने पिपरिया से गुरुचरण खरे की जगह वीरेंद्र बेलवंशी, बड़नगर से राजेंद्र सिंह सोलंकी की जगह मुरली मोरवाल और जावरा से हिम्मत श्रीमाल की जगह वीरेंद्र सिंह सोलंकी को अपना नया उम्मीदवार बनाया है।
इसके पहले कांग्रेस ने दतिया विधानसभा सीट पर पहले अवधेश नायक को टिकट दिया और जब इसका विरोध हुआ तो उसने अपने पुराने चेहरे राजेंद्र भारती को अपना उम्मीदवार बनाया। इसके साथ ही शिवपुरी जिले की पिछोर विधानसभा सीट पर पार्टी ने पहले शैलेंद्र सिंह को टिकट दिया और जब विरोध हुआ तो अरविंद सिंह लोधी को टिकट दिया। इसके साथ नरसिंहपुर जिले की गोटेगांव विधानसभा सीट से पार्टी ने मौजूदा विधायक और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति का टिकट काट कर शेखर चौधरी को टिकट दिया और बाद में हाईकमान के सीधे हस्तक्षेप के बाद शेखर चौधरी की जगह फिर एनपी प्रजापति को मौका दिया। कुल मिलाकर कांग्रेस पार्टी ने अभी तक 7 विधानसभा सीटों पर बदलाव कर दिया है परंतु सातों विधानसभा सीट पर अब जिनको पूर्व में टिकट दिया गया था उनकी ओर से बगावत खुलकर सामने आ गई है और यह समाज की ओर से बगावत का रूप ले चुकी है ।

 न दिग्विजय-न कमलनाथ, कोई तैयार नहीं है बागियों  की जिम्मेदारी लेने के लिए । 

कांग्रेस पार्टी द्वारा सात विधानसभा सीटों पर बदलाव के बाद जो स्थिति सामने आ रही है वह बेहद हास्यास्पद स्थिति में पहुंच चुकी है ।
- टिकटों को लेकर कांग्रेस में अब फंसती हुई दिख रही है। लगातार टिकट बदलने से कई विधानसभा सीटों पर पार्टी स्थानीय स्तर पर दो गुटों में  बंट गई है और पार्टी को यहां अपने घर से ही चुनौती का सामना करना पड़ सकता है। उज्जैन जिले की बड़नगर से पहले घोषित राजेंद्र सिंह सोलंकी ने आज टिकट कटने के बाद निर्दलीय चुनाव लड़ने का एलान कर दिया। इसी पूर्व डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे ने भी चुनाव लड़ने का एलान कर दिया है।
ऐसे में अब प्रदेश कांग्रेस के दो सबसे बड़े नेताओं कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के सामने बगावत से निपटने की चुनौती आ खड़ी हो गई है। कांग्रेस की पहली चुनौती बागियों को दूसरी पार्टी या निर्दलीय चुनाव लड़ने से रोकना है और दूसरी चुनौती स्थानीय स्तर पर पार्टी को एकजुट करना है। पिछले दिनों जिस तरह टिकट को लेकर दिग्विजय सिंह और कमलनाथ में कपड़े फाड़ने को लेकर जुबानी जंग देखने को  मिली उससे अब यह बड़ा सवाल खड़ा हो गया हैह कि बगियों को मानने का जिम्मा कौन सा नेता अपने कंधों पर उठाएगा?