इस्लामाबाद । सिंध प्रांत में बाढ़ ने कहर बरपाया है। बाढ़ की वजह से मोहनजोदड़ो के पुरातत्विक खंडहर को भी बड़ा नुकसान हुआ है। सिंधु नदी के बढ़े जलस्तर से आई बाढ़ से इस इलाके के भी कई हिस्से डूब गए थे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ऐतिहासिक खंडहर के कई गली-मोहल्ले और सीवरेज नाले बाढ़ के कारण बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुए हैं। सिंधु नदी पर बने ज्यादातर बांध अपनी क्षमता से ज्यादा भरे हैं और उनके ऊपर से पानी बह कर आ रहा है।सिंध प्रांत के कई जिले अभी भी पानी में डूबे हुए हैं। पाकिस्तान के आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल अख्तर नवाज ने कहा कि साल 2022 पाकिस्तान को जलवायु परिवर्तन से होने वाले नुकसान की सच्चाई दिखा रहा है। मोहनजोदड़ो में आई बाढ़ से गलियों का हिस्सा एक बार फिर मिट्टी से पट गया। कई दीवार भी क्षतिग्रस्त हो गई हैं। हालांकि इनसे मिट्टी हटाने का काम जारी है। लेकिन अगर इसी तरह की बाढ़ आती रही तो कोई बड़ी बात नहीं है कि पुरातत्व का ये खजाना एक बार फिर जमीन के नीचे समा जाए।
पाकिस्तान के सिंध प्रांत में पड़ने वाला मोहनजोदड़ो एक पुरातात्विक स्थल है। यहां से सिंधु घाटी सभ्यता से जुड़े अवशेष प्राप्त हुए हैं। ये दुनिया के प्राचीनतम शहरों में से एक है। मोहनजोदड़ो का मतलब 'मुर्दों का टीला' होता है। इसके नाम पर मत जाइए। जिस प्लानिंग के साथ इस शहर को बसाया गया था उसके आगे आज के अच्छे-अच्छे महानगर भी पीछे हैं। 1921 में इसकी खुदाई शुरू हुई थी।
आज खंडहर बन चुका ये शहर कभी आबाद था। मोहनजोदड़ो लगभग 4000 साल पुराना शहर माना जाता है। इतने सालों के बाद भी यहां की दीवारें पूरी तरह से सुरक्षित हैं। गलियों में लगे हुए पक्की ईंटों के खड़ंजे आज भी वैसे ही हैं। इसे इतनी प्लानिंग से बनाया गया था कि यहां किसी भी तरह की कोई कमी नहीं थी। यहां घर पक्के ईंटों से बने थे। उनमें स्नानागार और शौचालय होते थे। हर घर से पानी निकले इसके लिए नालियां थीं। कहा जाता है कि यहां अपने समय का दुनिया का बेहतरीन ड्रेनेज सिस्टम था।