कीव। नाटो देशों तथा रूस की सेना ने वार्षिक परमाणु अभ्यास किए। इसके साथ ही रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन के रेडियोधर्मी डर्टी बम का उपयोग करने की योजना के दावे को दोहराया। वहीं, रूसी सेना ने यूक्रेन के 40 से ज्यादा गांवों पर हमले भी किए। पुतिन ने अपनी सामरिक परमाणु सेना के अभ्यासों का निरीक्षण किया। इनमें बैलिस्टिक और क्रूज मिसाइलों का परीक्षण शामिल है। रूस के रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु ने पुतिन को बताया कि अभ्यास में रूस पर परमाणु हमला होने की स्थिति में बड़ा परमाणु हमला करने का अभ्यास किया गया।
  इस बीच, नाटो उत्तरपश्चिमी यूरोप में अपना वार्षिक परमाणु अभ्यास कर रहा है जिसकी योजना उसने लंबे समय से बनायी हुई थी। पुतिन ने रूसी टेलीविजन पर बिना किसी प्रमाण के कहा कि यूक्रेन की उकसावे के तौर पर तथाकथित डर्टी बम इस्तेमाल करने की योजना है। साथ ही उन्होंने दलील दी कि अमेरिका, रूस तथा उसके क्षेत्रीय सहयोगियों के खिलाफ यूक्रेन का इस्तेमाल कर रहा है और उसने यूक्रेन को सैन्य-जैविक प्रयोगों के परीक्षण मैदान में बदल दिया है। यह पहली बार है जब पुतिन ने खुद डर्टी बम के आरोप लगाए हैं जिसकी अभी तक कोई पुष्टि नहीं हुई है। यूक्रेन और उसके पश्चिमी सहयोगियों ने इन दावों को खारिज किया और दलील दी कि युद्ध क्षेत्र में झटके झेल रहा रूस खुद डर्टी बम विस्फोट करने की कोशिश कर सकता है। शोइगु ने भारत और चीन के अपने समकक्षों को यूक्रेन द्वारा संभावित रूप से डर्टी बम इस्तेमाल किए जाने को लेकर मॉस्को की चिंता बतायी।
  नाटो के महासचिव जेन्स स्टोल्टेनबर्ग ने रूस के अपुष्ट बयानों को बेतुका बताया। उन्होंने ब्रसेल्स में नाटो मुख्यालय में पत्रकारों से कहा, नाटो सहयोगी इन झूठे आरोपों को खारिज करते हैं, रूस को युद्ध आगे बढ़ाने के लिए झूठी आड़ नहीं लेनी चाहिए। पश्चिमी देशों द्वारा इनकार करने के बावजूद क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने जोर दिया कि मॉस्को के पास ऐसे एक आतंकी हमले के लिए यूक्रेन में तैयारियां करने की सूचना है।
  इस संबंध में ताजा संदेश गिनी बसाऊ के राष्ट्रपति उमारो मुख्तार सिस्सोको एम्बालो का आया जो यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से मिलने कीव गए थे। उन्होंने कहा, मैंने रूस में राष्ट्रपति पुतिन से मुलाकात की थी, जिन्होंने मुझसे आप तक कुछ बात पहुंचाने के लिए कही जो वह समझते हैं कि बहुत महत्वपूर्ण है। वह चाहते हैं कि दोनों देशों के बीच सीधी बातचीत हो।