बीजिंग । अमेरिका और चीन के बीच अमेरिकी प्रतिनिधि-सभा की अध्यक्ष नैंसी पलोसी की ताइवान यात्रा को लेकर तनाव चरम पर पहुंच गया है। नैंसी पेलोसी के ताइवान पहुंचने के बाद चीनी सेना ने ताइवान के चारों ओर 6 जगहों से लाइव फायर ड्रिल शुरू कर दी है। अमेरिका और चीन दोनों ने ही दक्षिण चीन सागर में परमाणु हथियारों से लैस युद्धपोत तैनात कर दिए हैं। दो महाशक्तियों के बीच जंग जैसे हालात निर्मित होने से तीसरे विश्‍वयुद्ध की आशंका पैदा हो गई है।
संयुक्‍त राष्‍ट्र प्रमुख ने चेतावनी दी है कि एक गलती से परमाणु तबाही आ सकती है। ताइवान को लेकर चीन और अमेरिका के बीच जिस तरह तनाव निर्मित हो रहा है, उसे देखते हुए यह अनुमान लगाना एक अतियथार्थवादी विचार नहीं है कि तीसरा विश्‍वयुद्ध भड़क सकता है। ताइवान की संसद में नैंसी पेलोसी ने ऐलान किया कि अमेरिका कभी भी ताइवान को अकेला नहीं छोड़ेगा, वहीं ताइवानी राष्‍ट्रपति त्‍साई इंग वेन ने कहा कि हम धमकियों के आगे झुकेंगे नहीं। पेलोसी ने कहा कि ताइवान के साथ दोस्‍ती पर सभी को गर्व है। हम ताइवान के साथ आर्थिक संबंधों को मजबूत बनाएंगे। उधर, चीन ने चेतावनी दी है कि वह अपनी संप्रभुता की रक्षा के लिए सभी जरूरी कदम उठाएगा। चीन ने कहा कि वह यात्रा के जवाब में निश्चित रूप से जोरदार तरीके से अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए कदम उठाएगा। उसने कहा कि इस घटना के बाद होने वाले सारे दुष्‍परिणाम के लिए अमेरिका जिम्‍मेदार होगा। चीन ने कहा है कि ताइवान को निश्‍चित रूप से मुख्‍यभूमि से एक किया जाएगा।
चीन मामलों के विशेषज्ञ जो मैक रेयनॉल्‍ड का मानना है कि चीन मिसाइलों के टेस्‍ट और लाइव फायर ड्रिल से यह संकेत दे रहा है कि वह तुरंत युद्ध के लिए नहीं जा रहा है। उन्‍होंने तेजी से बदलते घटनाक्रम में दुर्घटनावश दोनों ही पक्षों के बीच आमना-सामना होता है तो वह नियंत्रण के बाहर हो सकता है। चीन ने इसका संकेत भी दे दिया है। चीन ने ताइवान में नैंसी पेलोसी के उतरने के बाद 21 फाइटर जेट को ताइवान की सीमा के पास भेजा।
चीनी सेना ने ताइवान के चारों ओर अपने टारगेटेड मिलिट्री ऑपरेशन को शुरू कर दिया है। ताइवान के खिलाफ चीन ने कई तरह के आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए हैं। चीन के इस कदम से अमेरिका के साथ उसके रिश्‍ते बहुत ही खराब दौर में पहुंच गए हैं। पेलोसी का मानना है कि लोकतंत्र की रक्षा के लिए यह यात्रा जरूरी है और इस तरह से उन्‍होंने ताइवान को एक संप्रभु देश मान लिया है। चीन इससे खुश नहीं है और उसने अमेरिका के राजदूत को तलब करके अपना कड़ा विरोध दर्ज कराया है। अमेरिका की ओर से 25 साल में यह सबसे सर्वोच्‍च नेता का ताइवान दौरा हुआ है।
पेलोसी की यात्रा पर दुनिया बंटी हुई, एक तरफ ऐसे लोग हैं जो इस यात्रा का समर्थन कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर बड़ी संख्‍या में ऐसे भी लोग हैं जिन्‍हें तीसरे विश्‍वयुद्ध का खतरा सता रहा है। आज का दिन दोनों ही देशों के बीच रिश्‍तों के लिहाज से बहुत अहम माना जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि नैंसी पेलोसी की यात्रा से चीन और अमेरिका की सेनाओं में तनाव काफी बढ़ सकता है। दोनों ही देशों की सेनाएं अपने प्रमुखों से लगातार संपर्क में हैं, ताकि हालात का आकलन किया जा सके और भविष्‍य के कदम का अनुमान लगाया जा सके। उन्‍होंने कहा इस तनाव के बाद भी तीसरे विश्‍वयुद्ध का खतरा बहुत कम है। हां नैंसी पेलोसी के कदम से चीन और अमेरिका के बीच एक नए शीतयुद्ध की शुरुआत जरूर होती नजर आ रही है। इस शीतयुद्ध में अमेरिका का धुर विरोधी रूस चीन के साथ खड़ा नजर आ रहा है। वहीं अमेरिका को जापान, दक्षिण कोरिया और आसियान के देशों से मदद की उम्‍मीद है।