इंदौर ।   प्रमुख सचिव नीरज मंडलोई का आचरण स्पष्ट रूप से न्यायालय की अवमानना की श्रेणी में आता है। नौ नवंबर 2023 को कोर्ट द्वारा स्पष्ट आदेश दिए जाने के बावजूद मंडलोई ने 13 दिन तक निष्क्रिय रहकर हुकमचंद मिल मामले में मप्र गृह निर्माण मंडल, मजदूरों और अन्य पक्षकारों के बीच हुए समझौते को विफल करने का प्रयास किया है। मंडलोई बताएं कि उनके खिलाफ न्यायालय की अवमानना की कार्रवाई क्यों न की जाए। वे 12 दिसंबर को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर इस संबंध में शपथ पत्र प्रस्तुत करें। ये अंश हैं इंदौर के हुकमचंद मिल मामले में 29 नवंबर की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट द्वारा जारी आदेश के। मामले में बुधवार को न्यायमूर्ति सुबोध अभ्यंकर के समक्ष सुनवाई हुई। मप्र गृह निर्माण मंडल को बताना था कि मजदूरों के भुगतान के मामले में निर्वाचन आयोग की अनुमति प्राप्त हुई या नहीं। शासन के वकील ने कोर्ट को बताया कि प्रमुख सचिव मंडलोई ने इस संबंध में 23 नवंबर को निर्वाचन आयोग को पत्र लिख दिया है। वहां से अब तक कोई सूचना नहीं आई है।

13 दिन बाद क्यों लिखा पत्र

निर्वाचन आयोग की ओर से कोर्ट को बताया गया कि भोपाल कार्यालय में आवेदन 23 नवंबर को मिला था। आगे की कार्रवाई के लिए दिल्ली भेज दिया गया है। इस पर कोर्ट ने नाराजगी जताई और कहा कि हमने नौ नवंबर को ही निर्वाचन आयोग से अनुमति के बारे में आदेश जारी किया था। इसके बावजूद 13 दिन बाद पत्र लिखा गया। ऐसा लगता है मंडलोई खुद मप्र गृह निर्माण मंडल, नगर निगम, मजदूर और अन्य पक्षकारों के बीच हुए समझौते को विफल करने का प्रयास कर रहे हैं। कोर्ट ने मंडलोई को अवमानना नोटिस जारी करते हुए पूछा है कि क्यों न आपके खिलाफ न्यायालय की अवमानना की कार्रवाई की जाए।

बकाया भुगतान के लिए भटक रहे हैं हजारों मजदूर

हुकमचंद मिल प्रबंधन ने 12 दिसंबर 1991 को मिल बंद कर दिया था। इसके बाद से मिल के 5895 मजदूर और उनके स्वजन अपने बकाया भुगतान के लिए भटक रहे हैं। वर्ष 2007 में हाई कोर्ट ने मजदूरों के पक्ष में करीब 229 करोड़ रुपये का भुगतान स्वीकृत किया था। यह राशि मिल की जमीन बेचकर मजदूरों को दी जाना है, लेकिन मिल की जमीन बिक नहीं सकी। हाल ही में नगर निगम और मप्र गृह निर्माण मंडल के बीच मिल की जमीन पर संयुक्त रूप से आवासीय और व्यवसायिक प्रोजेक्ट लाने को लेकर सहमति बनी।

मंत्रिपरिषद की बैठक में स्वीकृति भी मिल चुकी है

समझौते के अनुसार मप्र गृह निर्माण मंडल को मजदूरों के पक्ष में 224 करोड़ रुपये भुगतान करना है। मंत्रिपरिषद की अंतिम बैठक में इसके प्रस्ताव को स्वीकृति भी मिल चुकी है। हाउसिंग बोर्ड मजदूरों को भुगतान करता इसके पहले ही प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए आचार संहिता लागू हो गई। पिछली सुनवाई पर हाई कोर्ट ने मप्र गृह निर्माण मंडल से कहा था कि वह 28 नवबंर तक निर्वाचन आयोग से भुगतान की अनुमति प्राप्त कर ले।