रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की 3 दिन की मॉनेटरी पॉलिसी की मीटिंग के नतीजे आज आ गए हैं. आरबीआई ने इस बार भी रेपो रेट की दर में इजाफा नहीं किया है. इसके साथ ही भारतीय रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष (2023-24) के लिए GDP के ग्रोथ रेट के अनुमान को 6.5 फीसदी पर कायम रखा है. हालांकि, केंद्रीय बैंक ने अपने मुद्रास्फीति के अनुमान को 5.1 फीसदी से बढ़ाकर 5.4 फीसदी कर दिया है.

सब्जियों के भाव रिकॉर्ड लेवल पर 

आपको बता दें इस समय बाजार में सब्जियों के भाव रिकॉर्ड लेवल पर है. टमाटर और अन्य सब्जियां महंगी होने की वजह से रिजर्व बैंक ने मुद्रास्फीति के अनुमान में बढ़ोतरी की है. रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बृहस्पतिवार को द्विमासिक मौद्रिक नीति की घोषणा करते हुए कहा कि घरेलू स्तर पर आर्थिक गतिविधियां मजबूत बनी हुई हैं.

ग्लोबल मार्केट का दिख रहा असर

शक्तिकांत दास ने कहा कि खरीफ की बुवाई और ग्रामीण मांग में सुधार तथा सेवाओं में तेजी और उपभोक्ता भरोसा बढ़ने से परिवारों के उपभोग को समर्थन मिलेगा. उन्होंने कहा है कि कमजोर वैश्विक मांग, वैश्विक वित्तीय बाजारों में अस्थिरता, भूराजनीतिक तनाव परिदृश्य के लिए जोखिम हैं.

कितनी रह सकती है GDP ग्रोथ

इन सब कारकों को ध्यान में रखकर मौद्रिक नीति समिति (MPC) का अनुमान है कि 2023-24 में वास्तविक जीडीपी ग्रोथ 6.5 फीसदी रहेगी. पहली तिमाही में जीडीपी की वृद्धि दर आठ फीसदी, दूसरी में 6.5 फीसदी, तीसरी में 6 फीसदी और चौथी में 5.7 फीसदी रहने का अनुमान है. वहीं, अगले वित्त वर्ष यानी 2024-25 की पहली तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 6.6 प्रतिशत रहने का अनुमान है.

महंगाई पर बोले आरबीआई गवर्नर

महंगाई के बारे में दास ने कहा कि टमाटर और अन्य सब्जियां महंगी होने से निकट भविष्य में मुख्य मुद्रास्फीति पर दबाव रहेगा. हालांकि, इसके साथ ही उन्होंने उम्मीद जताई कि बाजार में नई फसल की आवक शुरू होने के साथ स्थिति में सुधार होगा. उन्होंने कहा कि जुलाई में मानसून और खरीफ की बुवाई में उल्लेखनीय प्रगति देखने को मिली है. गवर्नर ने आगाह करते हुए कहा कि बारिश के असमतल वितरण पर निगाह रखने की जरूरत है.

CPI 5.4 फीसदी रहने का अनुमान

दास ने कहा कि 2023-24 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित मुद्रास्फीति 5.4 फीसदी पर रहने का अनुमान है. दूसरी तिमाही में मुद्रास्फीति 6.2 फीसदी, तीसरी में 5.7 फीसदी और चौथी में 5.2 फीसदी रहेगी. गले वित्त वर्ष यानी 2024-25 की पहली तिमाही में खुदरा मुद्रास्फीति के 5.2 फीसदी पर रहने का अनुमान है.

खाने-पीने का सामान हुआ महंगा

मई में खुदरा मुद्रास्फीति 4.3 फीसदी पर थी जो जून में बढ़कर 4.8 फीसदी पर पहुंच गई. मुख्य रूप से खाने-पीने का सामान महंगा होने से खुदरा मुद्रास्फीति बढ़ी है.