भोपाल । एमपी में इस बार मानसून रुला रहा है। बुधवार को सावन भी बीत रहा है पर प्रदेश में मानसून ठीक से नही बरसा है। बादलों की बेरुखी के कारण एमपी का अधिकांश हिस्सा पानी के लिए तरस रहा है। हाल ये है कि प्रदेश के आधा दर्जन से भी कम जिलों में ही सामान्य या इससे ज्यादा बारिश हुई है। हालांकि मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार सितंबर के शुरुआती दिनों में सिस्टम बनने की संभावना है जिससे कुछ हिस्सों में जोरदार बरसात हो सकती है।
इस बार प्रदेश के भिंड जिले में 706.1 मिमी, नरसिंहपुर में 1043 मिमी, निवाड़ी में 746.0 मिमी और बुरहानपुर 685.5 मिमी बरसात हुई है। इन जिलों में तो भरपूर पानी बरसा लेकिन अन्य जिलों में स्थिति खराब है। राज्य के 44 जिलों में 44 फीसदी तक कम पानी गिरा है। 1 जून से 29 अगस्त तक के मानसून सीजन के 90 दिन में पिछले वर्ष की तुलना में प्रदेश में 13 प्रतिशत बारिश कम हुई। इस अवधि में 661.1 मिमी बारिश हुई है जबकि 762.3 मिमी पानी गिरना था। फिर भी अभी पानी गिरने की आस जिंदा है। मौसम विज्ञानियों के मुताबिक पांच सितंबर के आसपास चक्रवात बनने से प्रदेश के पूर्वी हिस्सों में तेज बरसात हो सकती है।
वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक बताते हैं कि पिछले करीब 15 दिनों से मानसून का कोई जोरदार सिस्टम नहीं बना है। इस अवधि में स्थानीय सिस्टम से ही हल्की बरसात हुई है। इससे पहले बने कुछ सिस्टम भी ज्यादा असरकार साबित नहीं हुए। लेकिन अभी प्रदेश में पानी गिरने की पर्याप्त संभावना बनी हुई है। मौसम विज्ञानी एचएस पांडेय के अनुसार पांच सितंबर के आसपास मध्यप्रदेश के पूर्वी जिलों में अच्छी बारिश हो सकती है। दरअसल इस दौरान पश्चिम बंगाल में ऊपरी हवा का चक्रवात बनने का अनुमान है। इसका असर पूर्वी एमपी में तेज बरसात के रूप में दिखाई दे सकता है।
एमपी में इस बार बारिश ने मायूस कर दिया है। मानसून सीजन के 90 दिन में प्रदेश के सिर्फ 5 जिलों में सामान्य से ज्यादा पानी बरसा है। राज्य के 44 जिलों को बारिश का इंतजार ही है। इन जिलों में माइनस 44 फीसदी तक पानी कम बरसा। सावन भी बीत रहा है पर प्रदेश में मेघ ठीक से नहीं बरसे हैं। पिछले वर्ष की तुलना में प्रदेश में इस बार 13त्न बारिश कम हुई। 1 जून से 29 अगस्त यानी 90 दिनों में 661.1 मिमी बारिश हुई। जबकि 762.3 मिमी बारिश होनी थी। तीन जिलों में सामान्य बारिश हुई। इस बार तो बारिश की कामना के लिए प्रदेश के अलग-अलग जिलों में कई तरह के टोटके भी हुए लेकिन फिर भी मेघ मेहरबान नहीं हुए। हालांकि सितंबर के पहले सप्ताह में सिस्टम बनने का अनुमान है जिससे पूर्वी एमपी में कोटा कुछ हद तक पूरा हो सकता है। पिछले साल 2022 की बात करें तो इन 90 दिनों में 20 फीसदी ज्यादा बारिश हुई थी। 37 जिले बारिश से तर थे। 12 जिलों में तो 50 से 105 फीसदी तक ज्यादा बारिश हुई थी। मध्यप्रदेश सबसे ज्यादा बारिश वाले 10 राज्यों में शामिल था। जबकि इस बार सबसे कम बारिश वाले 10 राज्यों में मध्यप्रदेश का नाम भी है। 1 जून से 29 अगस्त तक 942.9 मिमी बारिश हुई थी। यह सामान्य 762.3 मिमी वर्षा से 20 फीसदी ज्यादा थी।