मुंबई । महाराष्ट्र की राजनीति में अक्सर नए मोड़ आते रहते हैं। गुरुवार को बात करते हैं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में मचे नए तूफान की और महाराष्ट्र सरकार में शामिल एक मंत्री के सनसनीखेज दावे की। 
अभी हाल ही में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार ने अपनी बेटी और सांसद सुप्रिया सुले को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त कर महाराष्ट्र की जिम्मेदारी सौंपी थी। पवार ने इसके साथ ही वरिष्ठ नेता प्रफुल्ल पटेल को भी कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर उन्हें अन्य राज्यों की जिम्मेदारी दी थी। उस समय अजित पवार के बारे में कहा गया था कि वह महाराष्ट्र विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष पद पर हैं, इसकारण वह वहीं काम करते रहने वाले हैं। पार्टी ने कहा था कि अजित की राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी में कोई भूमिका निभाने की इच्छा नहीं है और वह महाराष्ट्र की राजनीति ही करना चाहते हैं इसकारण अजीत नेता प्रतिपक्ष जैसी महत्वपूर्ण भूमिका में बने रहने वाले हैं। उस दौरान अजित पवार ने खामोश मन से जिस तरह शरद पवार का निर्णय स्वीकारा था उससे माना गया था कि राकांपा में उत्तराधिकार के मुद्दे को हल कर लिया गया है। लेकिन अब जिस तरह से अजित पवार ने अपने मन की बात सामने रखी है उससे स्पष्ट हो गया है कि भतीजे को यह कतई मंजूर नहीं है कि चाचा के साथ मिलकर उन्होंने जिस पार्टी को खड़ा किया था उसकी कमान वह अपनी बेटी को दे दें। यह कुछ वैसा ही है जैसा कि शिवसेना में बाला साहेब ठाकरे के जमाने में देखने को मिला था। उस समय उनके भतीजे राज ठाकरे ने उद्धव ठाकरे को शिवसेना की कमान सौंपे जाने का विरोध करते हुए कहा था कि जिस पार्टी को खड़ा करने के लिए उन्होंने अपना पसीना बहाया उसकी कमान एकतरफा रूप से अपने पुत्र को सौंपा जाना गलत है।
बता दें कि अजित ने अब जो कुछ कहा है उससे महाराष्ट्र की राजनीति में नया तूफान आ गया है। अजित ने पार्टी नेतृत्व से अपील की है कि वह उन्हें महाराष्ट्र विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी से मुक्त कर दें और उन्हें पार्टी संगठन में कोई भूमिका सौंपें। मुंबई में आयोजित, राकांपा के 24वें स्थापना दिवस कार्यक्रम में अजित पवार ने यह मांग रखी।
एक टिप्पणी में अजित ने कहा है कि मुझे बताया गया है कि मैं नेता प्रतिपक्ष के तौर पर सख्त व्यवहार नहीं करता हूं। उन्होंने कहा, मुझे नेता प्रतिपक्ष के रूप में काम करने में कभी दिलचस्पी नहीं थी, लेकिन पार्टी विधायकों की मांग पर यह भूमिका स्वीकार की थी। अजित ने हालांकि यह भी कहा कि उनकी मांग पर फैसला करना राकांपा नेतृत्व पर निर्भर है। उन्होंने कहा, मुझे पार्टी संगठन में कोई भी पद दे दें। जो भी जिम्मेदारी सौंपी जाएगी, उसके साथ पूरा न्याय करूंगा। अजित ने साथ ही मुंबई और विदर्भ में राकांपा संगठन को मजबूत करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
वहीं महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री दीपक केसरकर ने दावा किया है कि अगर पिछले साल शिवसेना नेतृत्व के खिलाफ बगावत नाकाम होती तब मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे खुद को गोली मार लेते। केसरकर ने आरोप लगाया कि उद्धव ठाकरे के मंत्रिमंडल में मंत्री रहे शिंदे का पिछले साल शिवसेना के स्थापना दिवस (19 जून) पर अपमान किया गया था। स्कूल शिक्षा मंत्री केसरकर ने कहा कि मुख्यमंत्री शिंदे सच्चे शिवसैनिक हैं। उन्होंने कहा, शिंदे साहब सच्चे इंसान और सच्चे शिवसैनिक हैं। उन्होंने (शिंदे) कहा था ‘अगर मेरा विद्रोह विफल हो गया, तब मैं सभी (बागी) विधायकों को वापस भेज देता...मैं मातोश्री (उपनगरीय बांद्रा में ठाकरे परिवार का निजी आवास) फोन करता और कहता कि मैंने गलती की, विधायकों की गलती नहीं है और तब मैं अपने सिर में गोली मार लेता।’’
मंत्री के बयान पर राज्यसभा सदस्य संजय राउत ने कहा, ‘‘पुलिस को केसरकर को हिरासत में लेना चाहिए क्योंकि कोई आत्महत्या करने के बारे में सोच रहा और केसरकर इससे अवगत हैं। यदि कल वह (शिंदे का जिक्र करते हुए) विधानसभा अध्यक्ष के निर्णय (विधायकों की अयोग्यता पर) के बाद आत्महत्या कर लेते हैं, तब केसरकर को तुरंत हिरासत में ले लिया जाना चाहिए।’’