कर्ज का उपयोग कई कार्यों और परियोजनाओं के लिए
भोपाल। मप्र सरकार अपने खर्चों को पूरा करने के लिए 6000 करोड़ रूपए का नया कर्ज लेने की तैयारी कर रही है। इससे राज्य का कर्ज और बढ़ जाएगा। कर्ज की औपचारिकताएं शुरू हो गई हैं। आरबीआई को एक लेटर ऑफ विलिंगनेस भेजा गया है, जो उधार लेने से पहले एक आवश्यक कदम है। यह कर्ज 4 मार्च को लिया जाना है। यह वर्ष 2025 का दूसरा लोन होगा। इससे पहले सरकार ने 18 फरवरी को 6 हजार करोड़ रुपए का लोन लिया था।
पिछले दिनों केंद्र सरकार ने मप्र को वित्तीय वर्ष के अंतिम त्रैमास (जनवरी से मार्च तक) में लोन लेने की मंजूरी दे दी है। इस वित्तीय वर्ष में अब तक सरकार 41 हजार करोड़ रूपए का कर्ज ले चुकी है। नए कर्ज से यह आंकड़ा 47 हजार करोड़ रुपए हो जाएगा। सरकार के पास इस वित्तीय वर्ष में 64000 करोड़ रूपए से अधिक का कर्ज लेने की सीमा थी। इसके मुकाबले सरकार अब तक 41000 करोड़ रूपए का कर्ज ले चुकी है। वित्तीय वर्ष के शेष दिनों में 23,000 करोड़ रूपए का और कर्ज लेने की गुंजाइश है। लेकिन अधिकारियों ने कहा कि 4 मार्च को प्रस्तावित 6000 करोड़ रूपए का कर्ज लेने के बाद और कर्ज लेने की जरूरत पर विचार किया जाएगा।
इस माह एक और लोन ने सकती है सरकार
एक अप्रैल से नया वित्तीय वर्ष शुरू हो जाएगा। नए वित्तीय वर्ष में लोन लेने के लिए केंद्र राज्य सरकारों को नए सिरे से अनुमति जारी करेगा। वित्त विभाग के अधिकारियों का कहना है कि 4 मार्च को लोन लेने के बाद मार्च में सरकार एक लोन और ले सकती है। वित्त विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक मप्र सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष का पहला लोन अगस्त में लिया था। अगस्त से दिसंबर के आखिर तक सरकार ने 35 हजार करोड़ रुपए का कर्ज लिया था। पिछले दिनों सरकार ने 6 हजार करोड़ का कर्ज लिया था। वर्तमान में मप्र सरकार पर 4 लाख 16 हजार करोड़ रुपए का कर्ज है।
यहां हो रहा लोन की राशि का उपयोग
31 मार्च को मध्य प्रदेश सरकार का कुल कर्ज 3.75 लाख करोड़ रूपए से अधिक था। इस वित्तीय वर्ष में लगातार अंतराल पर लिए गए कर्ज के बाद राज्य का कर्ज 4.16 लाख करोड़ हो गया है। मप्र सरकार लगातार कर्ज लेना स्वीकार करती है। सरकार का कहना है कि लिया गया कर्ज राज्य में लागू होने वाले उत्पादक विकास कार्यक्रमों और परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिए उपयोग किया जाता है। यह मुख्य रूप से विकास योजनाओं की लागत वहन करता है। केंद्र सरकार और अन्य स्रोतों से लिए गए कर्ज का उपयोग मुख्य रूप से राज्य के विकास और सिंचाई बांधों के निर्माण, परिवहन सेवाओं में सुधार, किसानों, स्थानीय निकायों जैसी तीसरी पार्टियों को ऋण देने, बिजली उत्पादन के लिए ऋण, बिजली पारेषण जैसी लाभकारी संपत्तियों के निर्माण के लिए किया गया। सरकार कर्ज लेते समय ऐसा कहती है।
इन कामों पर भी जबरदस्त खर्च
सरकार राज्य के लिए एक हवाई जहाज, मंत्रियों के लिए नई कारें और मंत्रियों के बंगलों के नवीनीकरण में भी पीछे नहीं हटी। पिछले साल 10 जुलाई को मध्य प्रदेश सरकार ने 230 करोड़ रूपए से अधिक का एक जेट विमान खरीदने के प्रस्ताव को मंजूरी दी। मंत्रियों के बंगलों के नवीनीकरण पर 18 करोड़ रूपए से कम खर्च नहीं किया गया। आरबीआई के अनुसार मार्च के अंत में भारत में राज्य सरकारों की कुल बकाया देनदारियां 93,93,317.5 करोड़ रूपए थीं। इसमें मप्र की कुल देनदारी 4,80,976 करोड़ थी।