दिवाली की रात हर घर में दीपक यानी दीये जलाए जाते हैं, आइए जानते हैं कारण पृथ्वी, आकाश,अग्नि, जल, वायु इन सभी पांचों तत्वों से दीपक बनता और प्रकाशित होता है। दीपक जलाने से वातावरण में शुद्ध होता है। धनतेरस से भैया दूज तक घर में अखंड दीपक जलाने से पांचों तत्व संतुलित हो जाते हैं और इसका असर पूरे साल व्यक्ति के जीवन पर रहता है। दीपावली के दिन सिर्फ महालक्ष्मी के लिए ही नहीं बल्कि पितरों के निमित्त भी दीप जलाए जाते हैं। दीपक जलाने की प्रथा के पीछे यह धारणा है कि दीपावली-अमावस्या से पितरों की रात आरंभ होती है। हमारे पितर कहीं मार्ग से भटक न जाएं, इसलिए उनके लिए प्रकाश की व्यवस्था इस रूप में की जाती है। इस प्रथा का बंगाल में विशेष प्रचलन है। दिवाली अमावस्या के दिन मनाई जाती है, जब हर जगह घोर अंधेरा होता है, लोग अंधेरे से छुटकारा पाने के लिए लाखों दीपक जलाते हैं। रोशनी न होने पर बुरी आत्माएं और ताकतें सक्रिय हो जाती हैं। इसलिए इन बुरी शक्तियों को कमजोर करने के लिए घर के कोने-कोने में दीपक जलाए जाते हैं।