श्री कृष्ण जन्माष्टमी हिन्दुओं का प्रमुख त्योहारों में से एक है। ये पर्व श्री हरि विष्णु के आठवें अवतार श्रीकृष्ण का जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है।

श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व दो दिन मनाया जाता है। इस बार भी 6 और 7 सितंबर को जन्माष्टमी मनाई जाएगी। साधु-संन्यासी, स्मार्त संप्रदाय बुधवार यानी 06 सितंबर को, जबकि वैष्णव संप्रदाय के मंदिरों में गुरुवार यानी 7 सितंबर को जन्माष्टमी मनाई जाएगी। ऐसा माना जाता है कि पहले दिन साधु-संन्यासी, स्मार्त संप्रदाय हर साल जन्माष्टमी मनाते हैं, जबकि दूसरे दिन वैष्णव संप्रदाय और बृजवासी इस त्योहार को मनाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कृष्ण जन्माष्टमी अक्सर 2 दिन क्यों मनाई जाती है? आइए जानते हैं क्यों होती है स्मार्तों और वैष्णवों की जन्माष्टमी अलग अलग दिन।

कृष्ण अष्टमी की तिथियां 2 क्यों हैं?
स्मार्त और वैष्णव संप्रदाय अलग-अलग तिथि होने पर अलग-अलग दिन जन्माष्टमी मनाते हैं। जन्माष्टमी की पहली तिथि पर स्मार्त और दूसरी तिथि को वैष्णव संप्रदाय मनाते हैं।

 यह है कारण
स्मार्त इस्कॉन पर आधारित कृष्ण जन्म तिथि का पालन नहीं करते हैं। वैष्णव संस्कृति में अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र के अनुसार, जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाता है। वहीं, स्मार्त सप्तमी तिथि के आधार पर त्योहार मनाते हैं। वैष्णव अनुयायियों के अनुसार, कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार हिंदू कैलेंडर की नवमी और अष्टमी तिथि को आता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, श्री कृष्ण जन्माष्टमी भाद्रपद महीने में कृष्ण पक्ष के आठवें दिन मनाई जाती है। श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव देर रात को मनाया जाता है क्योंकि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण का जन्म देर रात को हुआ था।

 जन्माष्टमी 2023 पूजा का शुभ मुहूर्त
भगवान श्रीकृष्ण की पूजा का शुभ मुहूर्त 6 सितंबर की मध्यरात्रि 12:02 से मध्यरात्रि 12:48 तक है। इस तरह पूजा की अवधि केवल 46 मिनट की ही रहेगी। वहीं जन्माष्टमी व्रत पारण का समय 7 सिंतबर 2023 की सुबह 06:09 के बाद है।

 बन रहा है अद्भुत योग
जन्माष्टमी पर रोहिणी नक्षत्र लग रहा है। श्री कृष्ण का जन्म भी रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। रोहिणी नक्षत्र 6 सितंबर 2023 की सुबह 09:20 से 7 सितंबर 2023 की सुबह 10:25 तक रहेगा।