मध्यप्रदेश में कांग्रेस के सारे पत्ते धीरे धीरे खुल रहे हैं। कल तक पार्टी को नये शिखर पर पहुंचाने का दावा करने वाले आलाकमान कांग्रेसी नेता मौका मिलते ही अपने-अपने बेटों को सेट करने में जुट गए। परिवारवाद के पाश में फंसी कांग्रेस के नेताओं का परिवार से मोह कम नहीं हो रहा है। कमलनाथ और  दिग्विजय सिंह को एमपी के चुनाव की कमान क्या संभालने के लिए दी गई, दोनों नेताओं के लिए पार्टी हित से ऊपर पुत्र हित हो गया। अब तक दोनों नेता बड़े भाई और छोटे भाई की भूमिका में थे, लेकिन टिकट बंटवारे और सीएम पद की कुर्सी को लेकर कांग्रेस में चल रही आंतरिक गुटबाजी जग जाहिर हो गई है।
चुनाव सिर पर हैं और कांग्रेस मध्य प्रदेश में 18 साल से विपक्ष में बैठी है। इतने सालों में बहुत कुछ बदल गया है, लेकिन नहीं बदली तो कांग्रेस की 'गुटबाजी'। पुत्र मोह में नेता इतने 'अंधे' हो चुके हैं कि पूरा कांग्रेस हाई कमान उनके आगे बौना दिख रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ जहां छिंदवाड़ा की सभी 6 सीटें बेटे नकुल नाथ से ऐलान करवा रहे हैं, वहीं टिकट वितरण में भूतपूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और उनके बेटे जयवर्धन सिंह का दखल तेजी से बढ़ रहा है। वचन पत्र के विमोचन के मौके पर कमल नाथ और दिग्विजय सिंह के बीच तू—तू, मैं—मैं सबने देखी है। ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने के बाद ऐसा पहली बार हुआ है, जब एक दूसरे के हमसफर दो दिग्गज नेता आपस में भिड़े हैं। 
हाशिए पर कांग्रेस के अन्य नेता
मौका देखते ही कमलनाथ ने अपने बेटे नकुल नाथ को मजबूत करना शुरू कर दिया है, वहीं दिग्विजय सिंह अपने बेटे जयवर्धन सिंह को बड़ा नेता बनाना चाहते हैं। ऐसे में कांग्रेस की मुख्यधारा के बड़े नेता सुरेश पचौरी, अरुण यादव, अजय सिंह, कांतिलाल भूरिया, विवेक तनखा अपने आपको उपेक्षित महसूस कर रहे हैं।
चुनाव में कांग्रेस को हो सकता है भारी नुकसान
मतदान की तारीख के पूरे एक महीने पहले कमलनाथ और  दिग्विजय सिंह का यह विवाद पार्टी को तगड़ा नुकसान पहुंचा सकता है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि छिन्दवाड़ा की 6 सीट पर प्रत्याशी घोषित करने का अधिकार नकुल नाथ को देना नेतृत्व को सीधी चुनौती है, वहीं नकुल नाथ भी पार्टी लाइन को धता बता कर केंद्रीय चुनाव समिति के निर्णय से पहले अपने प्रत्याशी घोषित कर रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस आलाकमान असहाय नजर आ रही है। प्रदेश के नेताओं ने इसकी शिकायत कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और सर्वेसर्वा नेता सोनिया गांधी से भी की है। अंदरखाने की मानें तो राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने चेतावनी दी है कि हालात नहीं सुधरे तो वे मध्यप्रदेश से दूरी बना सकते हैं।