दिल्ली । दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने  कैंसर जैसी घातक बीमारी में नकली दवा बनाकर सस्ते दामों में बेचने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया है। ये गिरोह स्टार्च से टेबलेट और कैप्सूल बनाकर जरुरतमंदों को सस्ते दामों पर बेच रहा था। पुलिस ने इस गिरोह में शामिल एक डॉक्टर समेत 7 लोगों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने उनके कब्जे से 8 करोड़ की 20 अंतरराष्ट्रीय ब्रांड की कैंसर की दवाइयां बरामद की हैं। 
क्राइम ब्रांच के मुताबिक, क्राइम ब्रांच को नकली जीवन रक्षक कैंसर दवाओं के बनाने और सप्लाई में शामिल एक अंतरराष्ट्रीय गिरोह के बारे में पता चला। सूचना के आधार पर पुलिस टीम ने दो महीने तक जानकारी इकठ्ठा की। पता चला कि इनका गोदाम ट्रोनिका सिटी (गाजियाबाद) में है, जहां डॉ। पवित्र प्रधान और शुभम मन्ना के निर्देश पर उनके साथी पंकज बोहरा और अंकित शर्मा उर्फ ​​भज्जी कैंसर रोगी के इलाज में इस्तेमाल होने वाली नकली दवाओं को पैक करते थे। 
पुलिस को यह भी पता चला कि डॉ। पवित्र प्रधान और शुभम मन्ना नोएडा के एक फ्लैट में रह रहे हैं। डॉ। पवित्र प्रधान के निर्देश पर पंकज बोहरा और अंकित शर्मा दिल्ली में अलग-अलग जगहों पर नकली दवाइयां पहुंचाते थे और देश भर में दवाओं की डिलीवरी के लिए 'वी फास्ट' कुरियर का इस्तेमाल करते थे।
पुलिस की एक टीम ने प्रगति मैदान के पास भैरों मंदिर रोड पर एक बैग ले जा रहे एक स्कूटी सवार लोगों को रोका। जिसकी पहचान पंकज सिंह बोहरा के रूप में हुई। बैग की तलाशी लेने पर दवाइयां बरामद हुई। पूछताछ में पंकज सिंह बोहरा ने स्वीकार किया कि बरामद दवाएं नकली हैं और भारत में उन्हें बेचने के लिए केवल एस्ट्रा जेनेका कंपनी अधिकृत है। उसने यह भी खुलासा किया कि उनका गोदाम ट्रोनिका सिटी गाजियाबाद में है।
क्राइम ब्रांच की दूसरी टीम ने डॉ। पवित्र नारायण प्रधान, शुभम मन्ना और अंकित शर्मा उर्फ ​​अंकु उर्फ भज्जी को नोएडा से गिरफ्तार किया और फ्लैट की तलाशी लेते हुए 1।3 लाख की नकदी और करोड़ों की दवाइयां बरामद हुई। पूछताछ के दौरान पता चला कि डॉ। पवित्र नारायण प्रधान ने साल 2012 में चीन से एमबीबीएस पूरा किया था। एमबीबीएस के दौरान उनका बांग्लादेशी बैच-मेट, डॉ। रसेल ने बताया कि वह कैंसर के इलाज में इस्तेमाल होने वाली नकली दवाओं के निर्माण के लिए आवश्यक एपीआई प्रदान कर सकते हैं। उसने बताया कि इन दवाओं की भारत और चीन के बाजारों में बहुत भारी मांग है और यह बहुत महंगी हैं। इन नकली दवाओं को बेचकर मोटी कमाई कर सकते हैं। चीन से एमबीबीएस करने वाले डॉ। अनिल ने भी भारत और चीन में अपने संपर्क के जरिए ऐसी नकली दवाओं की सप्लाई करने की बात मानी थी।